उत्तराखंडदेहरादून

समूह की महिलाओं के हाथों बनी मोमबत्तियों से रोशन होगी दिवाली

आपदा ने दिए जख्म, समूह की महिलाओं ने अंधेरे को दिया उजाला

देहरादून। दिवाली का पर्व जहां रोशनी और खुशियों का प्रतीक है, वहीं राजधानी देहरादून के सहस्त्रधारा क्षेत्र में यह पर्व आत्मनिर्भरता और महिला सशक्तिकरण का भी उदाहरण बन गया है। बीते महीने आपदा की मार झेल चुके इस क्षेत्र की ग्रामीण महिलाओं ने कठिन परिस्थितियों के बावजूद उम्मीद और उजाले की नई कहानी लिखी है। रायपुर ब्लॉक के अंतर्गत न्याय पंचायत सरोना की ग्राम पंचायत धनौला की स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने “वोकल फॉर लोकल” की मुहिम को अपनाते हुए अपने हाथों से बनी आकर्षक और सजावटी मोमबत्तियों से इस बार राजधानी के घरों को रोशन करने की ठानी है।

आपदा से जख्मी गांवों के बीच जहां निराशा का माहौल था, वहीं दुर्गा और लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने अपने हुनर से उस अंधेरे को उजाले में बदल दिया। उन्होंने दीपावली पर्व से पहले एक हजार पैकेट सजावटी मोमबत्तियों के तैयार कर बाजार में उचित मूल्य पर बिक्री शुरू कर दी है। इन समूहों की महिलाओं ने न केवल स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा दिया है बल्कि विदेशी सामानों का बहिष्कार करते हुए आत्मनिर्भर भारत की दिशा में कदम बढ़ाया है।

दुर्गा स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष कौशल्या नेगी ने बताया कि समूह की 10 महिलाओं ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के अंतर्गत मोमबत्ती निर्माण का प्रशिक्षण प्राप्त किया। इसके बाद एनआरएलएम की सहायता से उन्होंने उत्पादन शुरू किया। अभी तक एक हजार पैकेट तैयार किए जा चुके हैं, जिनकी बिक्री होम डिलीवरी और दुकानों के माध्यम से की जा रही है। प्रत्येक पैकेट में 6 से 8 मोमबत्तियां हैं, जिनकी कीमत 15 से 35 रुपये प्रति पीस रखी गई है। लागत मूल्य 10 से 20 रुपये तक है।

महिलाओं को आर्थिक सहायता के रूप में 7 प्रतिशत ब्याज दर पर 1.5 लाख रुपये की कैश क्रेडिट लिमिट, 1 प्रतिशत ब्याज दर पर 75 हजार रुपये का कम्युनिटी इन्वेस्टमेंट फंड और 10 हजार रुपये का रिवॉल्विंग फंड उपलब्ध कराया गया। प्रशिक्षण के दौरान महिलाओं को उद्यमिता विकास, समय प्रबंधन, लक्ष्य निर्धारण, ग्राहक प्रबंधन और डिजिटल बैंकिंग की जानकारी भी दी गई।

वोकल फॉर लोकल की इस पहल ने इन महिलाओं को आत्मनिर्भर और “लखपति दीदी” बनने की दिशा में अग्रसर किया है। दुर्गा और लक्ष्मी समूह की महिलाओं ने लगभग 1.5 लाख रुपये से अधिक की आमदनी कर यह साबित किया है कि दृढ़ इच्छाशक्ति और मेहनत से हर कठिनाई को अवसर में बदला जा सकता है।

मुख्य विकास अधिकारी अभिनव शाह ने बताया कि देहरादून जनपद के कई स्वयं सहायता समूह दिवाली को लेकर सजावटी दीपक और मोमबत्तियां तैयार कर रहे हैं। रायपुर ब्लॉक की महिलाओं द्वारा बनाए गए उत्पाद शहर के बाजारों में लोकप्रिय हो रहे हैं और उनकी बिक्री भी काफी अच्छी हो रही है।

इस तरह सहस्त्रधारा क्षेत्र की ग्रामीण महिलाएं न केवल अपने परिवार की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ कर रही हैं, बल्कि प्रदेश की आर्थिक प्रगति और स्वदेशी अभियान में भी अपना योगदान दे रही हैं।

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